ये फिल्म कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित, जो भारतीय सेना के एक अधिकारी थे, मरणोपरांत  indian govt. भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान उनके कार्यों के लिए, वीरता के लिए भारत के सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

Reales date 12 August

Leagues hindi 

Production company Dharma productions

 Director Vishnuvardhan


Shershaah movies Review: विक्रम बत्रा का पुरा जीवन इस बात को सच साबित करने वाला है कि "फौजी के रुतबे से बड़ा कोई रुतबा नहीं होता. वर्दी की शान से बड़ी कोई शान नहीं होती. देश प्रेम से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. " ओर फिल्म शेरशाह (Shershaah) शुरू से अंत तक यही एकमात्र संदेश देती है. 


 यह फिल्म कारगिल युद्ध (1999) के परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन से प्रेरित है.



कारगिल युद्ध के युद्ध का वैसे तो कई हिंदी फिल्मों में जिक्र आया है मगर इस पर एलओसी, लक्ष्य, स्टंप्ड, धूप, टैंगो चार्ली और मौसम से लेकर गुंजन सक्सेना जैसी फिल्में भी बनी हैं. 


 शेरशाह मुवी इन सब से अलग है shershaah movies पूरी तरह एक शहीद की असली बहादुरी पर केंद्रित है. ये फिल्म खास तौर पर दिखाती है कि हमारी सेना के जांबाजों ने कैसे 16 हजार से 18 हजार फीट ऊंची ठंडी-बर्फीली चोटियों जिन पर चढ़ने मात्र से ही सांस फूलने लगती है क्योंकि वहां ओक्सीजन कम मिलता है, उन पर चढ़ते-बढ़ते हुए दुश्मन पाकिस्तानी फौज को परास्त किया था. कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके जैसे बहादुर साथी ही थे, जिनकी बदौलत देश ने कारगिल युद्ध जितना! तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के आदेश पर पाकिस्तानी सेना हमारी सीमा में घुसी और चोटियों पर कब्जा कर लिया था, 

 

विक्रम बत्रा ओर उनके साथियों ने पाकिस्तानी सेना को ठिकाने लगाया.। पाकिस्तान का झूठ और ढिठाई ऐसी थी कि उसने युद्ध छेड़ने के आरोप से इंकार करते हुए अपने सैनिकों की लाशें को स्वीकारने से इंकार कर दिया था. तब हमारी सेना ने पूरे सम्मान के साथ उन्हीं चोटियों पर दुश्मन सिपाहियों को दफन किया. फिल्म में जो यह बात बताई गई है, जो निश्चित ही पाकिस्तान को आईना दिखाएगी.



इस फिल्म में दिखाया जाता है कि चंडीगढ़ के एक कॉलेज में पढ़ने वाले विक्रम बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) को सिख-बाला डिंपल (कियारा आडणाणी) से मोहब्बत हो जाती है. जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए शादी के इरादों तक पहुंचती है लेकिन हर प्रेम कहानी कि तरह डिंपल के पिता को रिश्ता मंजूर नहीं. ओर विक्रम कहता है कि वो मर्चेंट नेवी join करेगा, ओर डिंपल को खुश रखेगा, बावजूद इसके जब लगता है कि यह प्यार सुखद अंजाम तक पहुंचेगा, तभी कारगिल युद्ध शुरू हो जाता है और घरवालों से मिलने आया विक्रम तुरंत ड्यूटी पर लौट जाता है.


 जब विक्रम बत्रा का दोस्त कहता है कि जल्दी लौटना तो विक्रम का जवाब होता हैः तिरंगा लहरा कर आऊंगा, नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा.



Shershaah में कैप्टन विक्रम बत्रा के शौर्य को विस्तार से दिखाया गया है पाकिस्तानियों द्वारा कब्जाई दो चोटियों को छुड़ाने में उनकी भूमिका पर विशेष फोकस किया है.


 युद्ध-मिशन पर जाते समय कैप्टन विक्रम बत्रा को कोडवर्ड मिलता है, शेरशाह. मिशन सफल होने पर उनकी तरफ से क्या संकेत दिया जाएगा, अपने सीनियर के इस सवाल पर बत्रा का जवाब होता हैः ये दिल मांगे मोर.

 

 विक्रम बत्रा का पहला टास्क पॉइंट 5140 चोटी को पाकिस्तानियों से आजाद कराना और फिर पॉइंट 4875 को. 

 

पॉइंट 4875 को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने का सीधा मतलब ये था कि युद्ध का खत्म होना क्योंकि इस चौकी से दुश्मन भारतीय सीमा में 70 किलोमीटर तक के इलाके को नियंत्रित कर सकता था. इससे पहले कि पाकिस्तानी फौज को यहां नए सिरे से हथियार और रसद पहुंचते, कैप्टन बत्रा और उनकी टुकड़ी ने अपनी जान पर खेल कर पॉइंट 4875 पर बनी पाकिस्तानी पोस्ट को नष्ट कर दिया और तिरंगा फहराया


पॉइंट 4875 को आजाद कराने के दौरान वह शहीद हो गए.उस समय बत्रा की उम्र तब मात्र 24 साल थी. मरणोपरांत विक्रम बत्रा को परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया


 पॉइंट 4875 की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक युद्ध स्थलों में की जाती है.


  निर्माता द्वारा फिल्म से पहले डिसक्लेमर में साफ कर देते हैं कि इसे शहीद की हू-ब-हू कहानी न माना जाए. यह सिर्फ उनके जीवन की घटनाओं से प्रेरित है. जिसमें सेना से जुड़े दृश्यों को फिल्माने में बहुत सावधानी बरती गई है. कोई भूल-चूक हो भी तो वह जानबूझ कर या किसी की भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं है.

  

 सिनेमा संवेदनशील दौर में संभल-संभल कर कदम बढ़ा रहा है. जरा-सी गलती निर्माता-निर्देशक-कलाकार को देशद्रोही-समाजद्रोही बता कर कठघरे में खड़ा कर सकती है.


शेरशाह (Shershaah) में कारगिल युद्ध का पूरा द्रश्य रोचक ढंग से दिखाया गया है और लड़ाई के दृश्यों को विश्वनीय ढंग से फिल्माया गया है. फिल्म दर्शक को युद्धभूमि में ले जाती है. 


इस फिल्म में विक्रम बत्रा की भूमिका को सिद्धार्थ मल्होत्रा ने खूबसूरती से निभाया है और उनका अभिनय यहां अच्छा है. सैनिक की कद-काठी में वह जमे हैं. वहीं कियारा आडवाणी भी डिंपल की भूमिका में संजीदा दिखती हैं. अन्य सहयोगी कलाकार अपनी-अपनी जगह सही हैं.


 शेरशाह की कथा, पटकथा और संवाद संदीप श्रीवास्तव ने लिखे हैं. उन्होंने अपना काम सफलतापूर्वक किया है. कमलजीत नेगी ने कैमरे पर पूरा नियंत्रण रखा और युद्ध के दृश्यों को जीवंत बनाया है. ऐक्शन दृश्य भी यहां रोमांचित करने वाले हैं. 


दो घंटे से अधिक की शेरशाह (Shershaah) में यूं तो सैनिक के रूप में विक्रम बत्रा के पराक्रम पर फोकस है लेकिन इसे आम लोगों के लिए मनोरंजक बनाने के वास्ते लव स्टोरी भी सधे हुए अंदाज में पिरोई गई है.


Shershaah movies अमजेन प्राइम पर रिलीज हुई


तमिल में बतौर निर्देशक आठ फिल्में बना चुके विष्णुवर्द्धन पहली बार हिंदी में आए हैं. उनकी पहली हिन्दी फिल्म है

इस फिल्म के निर्माता करन जौहर है


कौन है डिंपल चीमा विक्रम बत्रा 
की गर्लफ्रेंड, अब क्या करती है, इन्होंने अभी तक शादी क्यों नहीं की






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