जगन्नाथ पुरी का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव पूर्णिमा स्नान शुक्रवार को हुआ।
मंदिर के भीतर ही करीब 300 लोगों की मौजूदगी में मनाए गए इस उत्सव के लिए अलसुबह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा देवी की प्रतिमाओं को गर्भगृह से बाहर लाया गया।
स्नान मंडप में करीब 170 पुजारियों ने भगवान को 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान कराया।
शुक्रवार शाम तक भगवान गर्भगृह से बाहर ही रहेंगे फिर 15 दिन के लिए वे क्वारैंटाइन यानी एकांतवास में रहेंगे। इस दौरान भगवान को औषधियां और हल्का भोग ही लगेगा।
अब जगन्नाथ मंदिर में 23 जून को ही रथयात्रा के लिए भगवान क्वारेंटाइन से बाहर आएंगे। तब तक मंदिर में दर्शन बंद रहेंगे।
ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा स्नान में ज्यादा पानी से स्नान के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं। इसलिए उन्हें एकांत में रखकर औषधियों का सेवन कराया जाता है।
पुर्णिमा स्नान में शामिल होने वाले सभी 170 पुजारियों को भी 12 दिन पहले से कोरोना टेस्ट के बाद से होम क्वारेंटाइन किया गया था। वे क्वारेंटाइन से निकलकर सीधे मंदिर पहुंचे।
- कस्तूरी, केसर आदि औषधियों से स्नान
स्नान के लिए जो 108 घड़ों में पानी भरा जाता है, उनमें कई तरह की औषधियां मिलाई जाती हैं। कस्तूरी, केसर, चंदन जैसे सुगंधित द्रव्यों को पानी में मिलाकर पानी तैयार किया जाता है। सभी भगवानों के लिए घड़ों की संख्या भी निर्धारित है।
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