भारत सरकार के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद आतंकी गतिविधियों में कमी आई है।
यह डेटा जम्मू कश्मीर पुलिस, इंडियन आर्मी और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्सेज के कंपाइल रिपोर्ट से तैयार किया गया है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था। इस साल उसकी पहली एनिवर्सरी है।
पिछले साल शुरू के 7 महीने में आतंकी हमलों की 188 घटनाएं हुईं थीं, इस साल आंकड़ा घटकर 120 हो गया है। 138 से ज्यादा आतंकी इस साल मारे जा चुके हैं। इनमें से एक दर्जन से ज्यादा वो हैं जिन्हें इंडियन आर्मी ने नॉर्थ कश्मीर के एलओसी पर मार गिराया है। पिछले साल आर्टिकल 370 हटने के पहले सिर्फ 126 आतंकी मारे गए थे। जबकि 75 सुरक्षाकर्मियों की जान भी गई थी। इस साल अब तक 35 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं।
पिछले साल सितंबर में 15 चिनार कॉप्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई जो करना चाहे कर ले। हम उन्हें ऐसा सबक सिखाएंगे कि उनकी पीढ़ियां याद रखेंगी। हम 1971 से भी बेहतर सबक सिखाएंगे। उनकी चेतावनी का ही यह परिणाम है कि कश्मीर में पाकिस्तान के टॉप आतंकवादी मारे गए।
इस साल अब तक हिजबुल मुजाहिदीन के 50, लश्कर के 20 और आईएसजेके और अनसार गजवत उल हिंद के 14 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें हिजबुल कमांडर रियाज नायकू, लश्कर कमांडर हैदर, जैश कमांडर कारी यासिर और अंसर का बुरहान कोका शामिल है।
गृह मंत्रालय का दावा है कि इस साल स्थानीय स्तर पर आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में 40 फीसदी कमी आई है। 2019 के पहले 6 महीने के मुकाबले इस साल 67 युवा आतंकी बने हैं। इनमें से ज्यादातर अनट्रेंड हैं, इनका ब्रेन वॉश किया गया है, इसलिए 30 दिन से ज्यादा ये नहीं टिक सकते हैं।
इस साल 110 स्थानीय आतंकी मारे गए हैं जो पाकिस्तान के लिए चिंता की बात है। इसके साथ ही अलग- अलग आतंकी ऑपरेशनों में दो दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी भी मारे जा चुके हैं। पिछले सात महीनों में जम्मू कश्मीर पुलिस ने 22 आतंकी और उनके 300 सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।
साथ ही इनके 22 ठिकानों का खुलासा भी हुआ है, जहां ये हथियार और एम्युनेशन रखते हैं। इस साल 190 से ज्यादा हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें से 120 अलग-अलग एनकाउंटर साइट से बरामद किए गए।
सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 36 फीसदी की कमी आई है। पिछले साल 51 ग्रेनेड अटैक हुए थे जबकि इस साल सिर्फ 21 हुए हैं। 2019 में 6 आईईडी अटैक हुए थे जिनमें एक पुलवामा भी था जहां सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। इस साल अभी तक सिर्फ एक आईईडी अटैक हुआ है।
इस साल अलगाववादियों में फूट भी सामने आई है, जिसके बारे में पिछले साल सोचा भी नहीं जा सकता था। सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया है, जो कश्मीरी कट्टरपंथी और अलगाववादियों के लिए सबसे बड़ा झटका है।
इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 300 से अधिक पाकिस्तानी आतंकवादी पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सीमा पार से भारत में घुसपैठ की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इंडियन आर्मी और बीएसएफ की मुस्तैदी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर आर्टिकल 370 के हटने के बाद अलगाववादियों और आतंकियों के लिए कश्मीर में आगे की राह मुश्किल हो गई है।
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