नई जनरेशन में स्मार्टफोन की लत होना समस्या बनती जा रही है। लोग अक्सर चलते समय, ड्राइविंग करते समय स्मार्टफोन का यूज करते हैं। आपने ऐसे कई फनी क्लिप देखे होंगे, जिसमें लोग स्मार्टफोन का यूज करते हुए किसी गड्ढे में गिर जाते हैं। होता यह है कि जब हम स्मार्टफोन चलते हुए देखते हैं तो हमारा ध्यान मोबाइल में चला जाता है। जिससे सामने की चीजों को नहीं देख पाते हैं। यदि कोई सामने आ रहा हो तो उससे टकरा जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी आंखों का ध्यान स्मार्टफोन में होता है। जिससे वो सामने क्या है वो नहीं देख पाते हैं। जिससे उनके साथ इस तरह की अनहोनी घट जाती है।

लेकिन अब डरने की जरूरत नहीं है। इंडस्ट्रियल डिजाइन स्टूडेंट ने अब हाई टेक तीसरी आंख बना ली है। जब आपकी दोनों असली आंखे फोन देख रही होंगी तब तीसरी आंख एक्टिव हो जाएगी। तीसरी आंख को बनाने वाले मिनवूक पेंग का कहना है कि इसकी मदद से एक्सीडेंट का डर नहीं होगा। आसानी से भीड़ वाले एरिया में चैट करते हुए और इंस्टाग्राम ब्राउज करते हुए चल सकते हैं।

सर नीचे होतो ही तीसरी आंख एक्टिव हो जाएगी
पेंग ’की इस तीसरी आंख में ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक है। इसे बिंदी की तरह जेल पैड की सहायता से माथे में चिपका लिया जाता है। इसी प्लास्टिक के अंदर छोटा सा स्पीकर,जाइरोस्कोप और सोनार सेंसर लगे होते हैं। यूजर्स के सिर नीचे करने पर ये एक्टिव हो जाता है। इसके बाद प्लास्टिक की आई खुल जाती है। सोनार सामने आने वाले एरिया को मॉनिटर करना शुरू कर देता है।

कुछ सामने आते ही अलार्म बजेगा

डिजाइनर के अनुसार इसमें ब्लैक कंपोनेंट होता है। ये आंखों की पुतली की तरह लगता है। जो कि अल्ट्रासोनिक सेंसर होता है जिससे डिस्टेंस का पता लगाता है। जैसे कोई दीवार, बाउंड्री, पत्थर यूजर्स के फ्रंट में आते हैं। स्पीकर से अलार्म बजना शुरू हो जाता है। जिससे यूजर्स सतर्क हो जाते हैं।

स्मार्ट फोन हमारे शरीर को बदल रहे हैं

स्मार्टफोन को यूज करते समय गलत पॉश्चर से हमारी गर्दन की हड्डियां 'टर्टल नेक सिंड्रोम' दे रही हैं। इससे गर्दन घुमाने में दर्द होना और कंधे में खिंचाव होने लगता है। फोन भी हमारी बॉडी को बदल दिया है। मजाकिया अंदाज में पेंग कहते हैं कि कुछ दशक में इंसान को ‘होमो सेपियंस’ की जगह ‘फोनो सेपियंस’ कहा जाएगा। कुछ समय बाद इन बदलाव से मानव जाति अलग रूप तैयार करेगी।

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