देश में फंगस का दुर्लभ मामला सामने आया है। दरअसल, ब्लैक और व्हाइट के बाद गाजियाबाद में यलो फंगस ने दस्तक दी है। यहां के एक अस्पताल में 35 साल के एक डायबिटिक मरीज में तीनों ही फंगस के लक्षण मिले हैं, जो देश में अपनी तरह का पहला मामला है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

डॉक्टर्स का कहना है कि यलो फंगस से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इस तरह के फंगस पर्यावरण में पहले से ही मौजूद रहे हैं। इससे जान का खतरा भी नहीं होता है।

जिला प्रशासन ने किया इनकार
गाजियाबाद के DMO ज्ञानेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि यलो फंगस का कोई केस अभी तक प्रशासन की संज्ञान में नहीं आया है। केवल ब्लैक फंगस हानिकारक होता है। व्हाइट व अन्य तरह के फंगस का कोई खास नुकसान नहीं होता है। ये पहले भी होते आए हैं।

राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. बीएल शेरवाल ने भी कहा कि यलो और व्हाइट फंगस को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसी बीमारियां दवाओं और इंजेक्शन के ज्यादा और सही तरीके से यूज न कर पाने के चलते होती हैं। इसलिए डॉक्टर के कहने पर और जितनी जरूरत है, उतनी ही दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। प्रिकॉशन लेने पर इस तरह के फंगस से बचा जा सकता है।

समय रहते इलाज हो तो कोई नुकसान नहीं
डॉक्टर्स के मुताबिक, किसी भी तरह के फंगस का सही समय पर इलाज किया जाए तो उसका नुकसान नहीं होगा। ज्यादा लेट होने की स्थिति में मरीजों की तकलीफ बढ़ सकती है। प्रयागराज मेडिकल कॉलेज के डॉ. संतोष के मुताबिक, किसी भी तरह के फंगस के मरीजों में सुस्ती, कम भूख लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

फंगस का जैसे-जैसे शरीर पर असर बढ़ता है, लोगों की दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं। इसलिए सही समय पर इलाज कराने से इससे बचा जा सकता है। इसमें घावों से मवाद का रिसाव होना, कुपोषण जैसी परेशानी हो सकती है। इसके अलावा शरीर को भी ये डैमेज कर सकता है।

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