भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होने वाला है। फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से 5 राफेल फाइटर विमानों का पहला बैच रवाना हो चुका है। 7 हजार किमी की दूरी तय कर यह बुधवार 29 जुलाई को भारत पहुंचेगा।
राफेल विमानों में एयर टू एयर रीफ्यूलिंग की जाएगी। पायलटों को आराम देने के लिए ये विमान सिर्फ यूएई में ही रुकेंगे। इन मल्टी-रोल फाइटर जेट्स के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
कोरोना महामारी के कारण राफेल विमानों की डिलीवरी लेट हुई है। दिसंबर 2021 में इसके आखिरी बैच के मिलने की उम्मीद है।
रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत मौजूद रहे
राफेल लड़ाकू विमानों की रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत जावेद अशरफ भी मेरिनेक एयरबेस पर मौजूद रहे। वे इस दौरान पायलटों से भी मिले। उन्होंने राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलटों को बधाई दी। उन्होंने फ्रेंच एयरफोर्स और राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भी धन्यवाद दिया।
राफेल लड़ाकू विमानों की रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत जावेद अशरफ भी मेरिनेक एयरबेस पर मौजूद रहे। वे इस दौरान पायलटों से भी मिले। उन्होंने राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलटों को बधाई दी। उन्होंने फ्रेंच एयरफोर्स और राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भी धन्यवाद दिया।
अंबाला में तैनाती होगी
पांचों राफेल की तैनाती अंबाला में होगी। यहां पर तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा।
दिलचस्प बात ये भी है कि अम्बाला एयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है। अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी।मिराज 2000 जब भारत आया था तो कई जगह रुका था, लेकिन राफेल एक स्टॉप के बाद सीधे अम्बाला एयरबेस पर उतरेगा।
परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।
इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।
इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।
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