28 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर फंड का ऐलान किया था, ताकि कोरोना से लड़ने के लिए लोग अपनी इच्छा से डोनेट कर सकें। लेकिन, तीन दिन बाद ही 1 अप्रैल को ही एक आरटीआई दाखिल हुई, जिसमें इस फंड से जुड़ी सभी जानकारी मांगी गई।

ये पहला मौका है जब किसी आपदा के वक्त देश के नाम दान प्रधानमंत्री राहत कोष में मंगवाने के बजाए एक नया फंड बनाकर उसमें मंगवाया जा रहा है। इसे नाम दिया है पीएम केयर फंड।



इस फंड में कितना पैसा आ रहा है और उसे कहां खर्च किया जा रहा है इसका हिसाब किताब पब्लिक नहीं है। जब सूचना के अधिकार कानून के तहत इस फंड से जुड़ी जानकारी मांगी गई तो मालूम हुआ ये आरटीआई के दायरे में नहीं आता।

कोरोनावायरस से लड़ने के लिए बनाए गए ‘पीएम केयर फंड' पर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल गांधी तो इसका ऑडिट करवाने की मांग तक कर चुके है।

इससे जुड़े कुछ सवाल हैं। जिनके जवाब देने वाला कोई नहीं। सबसे बड़ा ये कि जब पहले से ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी पीएमएनआरएफ था, तो नया फंड बनाने की जरूरत क्या थी?



आरटीआई दाखिल होने के बाद 30 दिन के भीतर ही उसका जवाब देना जरूरी है। लेकिन, यहां इसमें भी देरी हुई। 29 मई को पीएमओ ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ‘पीएम केयर फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है, लिहाजा इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती।'

इसके बाद हमने पीएम केयर फंड को कितना डोनेशन मिला? इसके लिए 28 मार्च के बाद से 4 जून तक की सारी मीडिया रिपोर्ट्स खंगाली। इसमें पता चला कि इन 69 दिनों में इस फंड को कम से कम 9690 करोड़ रुपए तो मिले ही हैं।

हालांकि, बहुत सारी संस्थाएं और सेलेब्रिटी ऐसे भी थे, जिन्होंने पीएम केयर फंड में डोनेशन तो दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि कितना डोनेट किया है। इसमें आम लोगों के डोनेशन की भी जानकारी नहीं है।

इसमें सिर्फ वही जानकारी पता चल सकी, जो मीडिया में आ सकी।




Post a Comment

Previous Post Next Post