ज़ख्मी दिल की धड़कन

      
 ना हम कुछ कह पाते हे,
 ना वोह कुछ कह पाते हे.
एक दूसरे को देखकर गुजर जाया करते हे.
कब तक चलता रहेंगा ये सिलसिला,
ये सोचकर दिन गुजर जाया करते हे!


आ जाते है आँसू,

फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है…


एक जुर्म हुआ है हम से एक यार बना बैठे हैं
कुछ अपना उसको समझ कर सब राज़ बता बैठे हैं
फिर उसकी प्यार की राह में दिल ओर जान गवा बैठे हैं
वो याद बहुत आते हैं जो हुमको भुला बैठे हैं


 इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है..!


कुछ मेरी मजबूरियां हैं मेरी जान,
वरना जुदाई से प्यार किसको है!

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