पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (84) का सोमवार को अस्पताल में निधन हो गया। 10 अगस्त से वे दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल (आर एंड आर) हॉस्पिटल में भर्ती थे।
इसी दिन ब्रेन से क्लॉटिंग हटाने के लिए इमरजेंसी में सर्जरी की गई थी। इसके बाद से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। प्रणब ने 10 तारीख को ही खुद के कोरोना पॉजिटिव होने की बात भी कही थी। प्रणब के निधन पर 7 दिन राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।
राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जाहिर किया है। मोदी ने लिखा- भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर भारत शोक व्यक्त करता है। उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
वह एक विद्वान स्कॉलर रहे। उन्हें समाज के हर वर्ग ने पसंद किया। मैं 2014 में दिल्ली में पहुंचा। पहले ही दिन से मुझे श्री प्रणब मुखर्जी का मार्गदर्शन, समर्थन और आशीर्वाद मिला। मैं हमेशा उसके साथ अपनी बातचीत को संजोकर रखूंगा। उनके परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और पूरे भारत में उनके समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति।
पिछले साल मिला था भारत रत्न
प्रणब को पिछले साल भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था। बेटी शर्मिष्ठा ने ट्विटर पर लिखा कि पिछले साल 8 अगस्त मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था, क्योंकि उस दिन मेरे पिता को भारत रत्न से नवाजा गया था। उसके ठीक एक साल बाद 10 अगस्त को उनकी तबीयत खराब और गंभीर हो गई।
प्रणब को पिछले साल भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था। बेटी शर्मिष्ठा ने ट्विटर पर लिखा कि पिछले साल 8 अगस्त मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था, क्योंकि उस दिन मेरे पिता को भारत रत्न से नवाजा गया था। उसके ठीक एक साल बाद 10 अगस्त को उनकी तबीयत खराब और गंभीर हो गई।
क्लर्क रहे, कॉलेज में भी पढ़ाया
प्रणब का जन्म ब्रिटिश दौर की बंगाल प्रेसिडेंसी (अब पश्चिम बंगाल) के मिराती गांव में 11 दिसंबर 1935 को हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री में एमए किया। वे डिप्टी अकाउंट जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में क्लर्क भी रहे। 1963 में वे कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे।
प्रणब का जन्म ब्रिटिश दौर की बंगाल प्रेसिडेंसी (अब पश्चिम बंगाल) के मिराती गांव में 11 दिसंबर 1935 को हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री में एमए किया। वे डिप्टी अकाउंट जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में क्लर्क भी रहे। 1963 में वे कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे।
1969 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर
प्रणब के पॉलिटिकल करियर की शुरुआत 1969 में हुई। उन्होंने मिदनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाला था। तब प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। 1969 में ही प्रणब राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
प्रणब के पॉलिटिकल करियर की शुरुआत 1969 में हुई। उन्होंने मिदनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाला था। तब प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। 1969 में ही प्रणब राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
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