बात 2006 की है। प्लूटो को तब तक सौरमंडल का नौवां ग्रह माना जाता था। प्राग में ढाई हजार एस्ट्रोनॉमर जुटे थे। वोटिंग हुई और सौरमंडल में ग्रहों को शामिल करने के लिए तीन मानक तय किए गए।

 पहला, ग्रह वह है जो सूर्य की परिक्रमा करता है। दूसरा, ग्रह वह है जिसका आकार इतना बड़ा हो कि अपनी ग्रेविटी के कारण वह गोलाकार हो जाए। तीसरा, जिसका अपना ऑर्बिट हो। प्लूटो तीसरे मानक में असफल रहा और इसे सौरमंडल के ग्रहों की गिनती से बाहर कर दिया गया। यदा-कदा इसे दोबारा सौरमंडल के ग्रहों में शामिल करने की मांग उठती रहती है, लेकिन अब तक उस पर सुनवाई नहीं हुई है।

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