लॉकडाउन की ही बात है। बिहार के सुपौल जिले में आने वाले हुलास गांव में एक लड़का झूठी शादी कर रहा था, जबकि दिल्ली में पहले ही एक लड़की से लव मैरिज कर चुका था।

 लॉकडाउन में अपने गांव आया और दूसरा रिश्ता तय कर लिया। लड़की नाबालिग थी, लेकिन मां-बाप गरीब थे तो उन्होंने रिश्ता कर दिया। लड़के ने पहली शादी के बारे में नहीं बताया। ऐन मौके पर सामाजिक संस्था ग्राम विकास परिषद को पता चला तो उसने शादी रुकवा दी। लड़के को पुलिस के हवाले नहीं किया बल्कि, समझा-बुझाकर मामला खत्म करवा दिया।
बिहार में झूठी शादियों का ट्रेंड कई सालों से चल रहा है। पंजाब, हरियाणा, यूपी के लोग बिहार आते हैं। वहां पैसे देकर लड़कियों से शादी करते हैं और उन्हें अपने साथ ले जाते हैं।

 सबसे ज्यादा मामले पंजाब-हरियाणा के होते हैं। मुसीबतों के समय ये गिरोह ज्यादा सक्रिय हो जाता है, क्योंकि लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने का मौका मिल जाता है। बिहार इन दिनों कोरोनावायरस के साथ ही बाढ़ का सामना कर रहा है। जिनके घर डूबे हैं वे सड़क पर रहने को मजबूर हैं। इन हालात में झूठी शादियों की आशंका और बढ़ गई है।
पिछले 12 सालों से फेक मैरिज के खिलाफ लड़ रहीं मधुबनी की सामाजिक कार्यकर्ता हेमलता पांडे कहती हैं कि, हमने सिर्फ 2017 से 2019 के बीच ही मानव तस्करी के 13 मामले पकड़े और इसमें 32 लोगों की गिरफ्तारी हुई।

 ये ऐसे मामले थे, जिनमें पंजाब-हरियाणा-यूपी के लोग बिहार के गांव में आए और पैसों का लेनदेन कर गरीब लड़कियों से मंदिर में शादी कर ली।
कई मामलों का सही समय पर खुलासा हो गया तो शादी तुड़वा दी गई। कुछ मामलों में यह भी पता चला कि जो लड़की शादी होकर गई है, वह हरियाणा में तीन-तीन परिवारों की बहू बनी हुई है। बहुत से मामलों में सामने आया कि लड़का कुछ साल लड़की को साथ रखता है, फिर किसी और को बेच देता है।

बिहार में यह काम नेटवर्किंग के जरिए चल रहा है। रोजगार के लिए यहां के लड़के पंजाब-हरियाणा जाते हैं। वहां के लड़कों से इनकी दोस्ती होती है। पैसों के लालच में ये ही उन लोगों को अपने गांव में लाते हैं। कुछ दिन साथ में रखते हैं, फिर किसी गरीब परिवार को देखकर शादी की बात करते हैं। लड़की के घरवालों को पैसा ऑफर किया जाता है। तरह-तरह के सपने दिखाए जाते हैं।
 जैसे, लड़का शहर में नौकरी-बिजनेस करता है और काफी पैसे वाला है। लड़की को खुश रखेगा। इतने में गरीब परिवार शादी के लिए हामी भर देता है।

पांडे के मुताबिक, मोटी रकम तो बीच वाला दलाल खा जाता है। परिवार को 20-25 हजार रुपए दे देते हैं और किसी मंदिर में शादी कर लड़की को लेकर फरार हो जाते हैं। लड़की के परिवार को लगता है कि, बेटी की शादी भी हो गई और पैसे खर्च होने की जगह मिल गए, इसलिए वे खुश हो जाते हैं। बाद में लड़की जिस दलदल में फंसती है, उसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।

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