बिजली निगम की विजिलेंस टीम के एईएन रूपसिंह मीणा ने रूपवास के एक घर में  छापा मारने के बाद उसके ड्राइवर ने 50 हजार रुपए वसूलने के लिए 3 दिन तक उपभोक्ता के घर चक्कर लगाए व फोन करवाया।  जब पैसे की बात नहीं बनी  तो 4.28 लाख रुपए की वीसीआर भरवा दी।

ड्राइवर व उपभोक्ता के बीच हुई बातचीत की रिकार्डिग होने के कारण मामला सामने आ गया। जब इसकी शिकायत एक्सईएन को की गई तो उसने जांच करने के स्थान पर  एईएन को बांदीकुई के लिए रिलीव कर दिया और ठेके के ड्राइवर को नौकरी से निकाल मामले को दबा दिया। एईएन का 6 माह पहले ही टांसफर हो गया था परंतु उसे जानबूझकर रिलीव नहीं किया गया था।।
रूपवास के एक घर में लगे आरओ प्लांट पर 30 जून को बिजली निगम के एईएन ने छापे की कार्रवाई की और मीटर से निकली लाइन में लगे चेंजओवर को बिजली चोरी की श्रेणी में माना , 25 फोटो खींचे और लौट गए। 

उसी दिन ड्राइवर उपभोक्ता पूरनमल सैनी के घर छापे के मामले को रफा-दफा करने के लिए 50 हजार रुपए की डिंमांड करने पहुंच गया, लेकिन उपभोक्ता 10-15 हजार रुपए देने तक तो राजी हो गया, लेकिन लॉकडाउन में उसका कारोबार चौपट होने का हवाला देकर उसने 50 हजार रुपए देने से इनकार कर दिया।
दलाल ड्राइवर से उपभोक्ता बोला कि 50 हजार रुपए तो मेरे पास नही हैं, अगर ज्यादा दबाव बनाया तो मैं सुसाइड कर लूंगा और नाम लिख जाउंगा कि एईएन रूपसिंह मीणा, एक्सईएन शर्मा और राजू मीणा ने तीनों ने दबाव डाला।

लॉकडाउन में पहले से ही बर्बाद हो गया। पैसे के लिए ड्राइवर ने 3 दिन चक्कर काटे लेकिन जब बात नहीं बनी तो छापे के दिन की वीसीआर भर दी और 4 जून को नोटिस थमा दिया। इसके बाद 7 जुलाई को बिजली चोरी निरोधक थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी।
इसके बाद उपभोक्ता ने विजिलेंस एक्सईएन को लिखित में पैसे वसूली की शिकायत दी और रिकार्डिंग सुनाई। एक्सईएन ने 7 जुलाई को ही एईएन रूपसिंह मीणा को बांदीकुई के लिए रिलीव कर दिया और ड्राइवर राजू मीणा को नौकरी से निकाल कर मामले को दबा दिया।

उपभोक्ता ने 10-15 हजार देने की बात कही तो ड्राइवर बोला- ये सब्जी मंडी नहीं है,वे एईएन-एक्सईएन हैं भाई, तू 5 लाख के नुकसान के लिए बस ‌10 हजार खर्च करेगा
ड्राइवर को 50 हजार रुपए की जगह 10-15 हजार रुपए देने की बात कही तो ड्राइवर बोला- ये सब्जी मंडी नहीं है भाई। वे एईएन-एक्सईएन हैं। तू 5 लाख के नुकसान के लिए बस 10 हजार रुपया खर्च करेगा। तू मजाक में ले रहा है। हम कोई भी बिल्डिंग में बिजली चोरी पकड़ें तो 10 हजार तो वो खर्च कर दे। मैं 25 हजार रुपए भर आया हूं और साहब से कह दी है कि बाकी पैसे एक दो दिन में आ जाएंगे। मैंने तेरे से कही है कि तेरे पास 20, 25, 30, 35 हजार जो हों वह कर दे।

हमने उसी दिन एक शिकायत पर मालाखेड़ा के लीली गांव में छापा मारा, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। जब साहब के कहने पर 4 घर चैक किए तो उनसे ही 70 हजार रुपए ले आए और तू 10 हजार रुपए की बात कर रहा है। ये ओएंडएम के थोड़ी हैं जो 2 हजार रुपए लेकर चल दें। तू नहीं होता तो ये कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपए लेते। हमने तो अब तक जाने कितने केस करा दिए। तू ये सोच कहां 5 लाख और कहां 50 हजार रुपए। अगर 5 लाख की वीसीआर भर दी तो तू सैटलमेंट में भी जाने का नहीं रहेगा।
उपभोक्ता पूरनमल यादव बोला- एईएन खुद गाड़ी चलाकर आए और चैक करने पर कहीं बिजली चोरी नहीं मिली
उपभोक्ता पूरनमल सैनी का कहना है कि एईएन खुद गाड़ी चलाकर लेकर आए और बिजली चोरी को लेकर पूरे घर को चैक कर लिया। कहीं भी बिजली चोरी नहीं मिली। क्योंकि मीटर के बाद चेंज ओवर लगा है। अगर उस चेंज ओवर से पूरी बिजली को बंद कर देंगे तो मीटर तो खपत नहीं होने पर मीटर तो बंद होगा ही। इसे चोरी मान लिया और यहीं से पैसे मांगने का सिलसिला शुरू हुआ। जब पैसे देने से इनकार किय तो वीसीआर भर दी और नोटिस देकर एफआईआर दर्ज कर दी।
ड्राइवर बोला-मुझे नहीं पता जिसका भला कर रहा हूं वह रिकॉर्डिंग करेगा
  • मैंने पैसे नहीं मांगे, बडे भाई के नाते सलाह दी थी। 10-12 साल की नौकरी में मेरा रिकार्ड है कि कोई अधिकारी मुझे खराब बता दे, लेकिन उसकी रिकार्डिंग और शिकायत से मेरी नौकरी चली गई। मुझे नहीं पता था कि जिसके भले की बात कर रहा हूं वह मेरी बात की रिकार्डिंग कर लेगा। -राजू मीणा, एईएन की गाड़ी का ड्राइवर
  • on
  • हमने रूपवास में बिजली चोरी पकड़ने के लिए कार्रवाई की और उसकी मौके पर वीसीआर भरी थी। क्योंकि उसने चेंज ओवर लगाकर मीटर को बंद कर रखा था। न तो मैने पैसे मांगे और न ही मैंने किसी को इस कार्य के लिए भेजा और न ही उपभोक्ता से मेरी कोई बात हुई है। हमने नियमानुसार कार्य किया है। -रूपसिंह मीणा, तत्कालीन एईएन विजिलेंस अलवर
  • मेरे पास विजिलेंस की कार्रवाई के बाद ड्राइवर की ओर से पैसे वसूली की शिकायत आई थी, जिस पर ठेकेदार के ड्राइवर को तत्काल हटा दिया। गलती ड्राइवर की थी, जिस पर उसे हटाया गया। एईएन तो अंडर ट्रांसफर थे, इसलिए उन्हें रिलीव कर दिया। इस मामले में जांच की जरूरत ही नहीं थी। -एससी शर्मा, एक्सईएन विजिलेंस अलवर

Post a Comment

Previous Post Next Post