सोमवार रात लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव अपनी हदें पार कर गया। 45 साल बाद सीमा पर विवाद में किसी सैनिक की जान गई है।

15 जून की शाम मामले को सुलझाने की प्रक्रिया चल रही थी। तभी झड़प हुई, जिसमें एक ऑफिसर और 2 जवानों की हत्या हो गई। सेना के सीनियर लीडर मसले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।




 उम्मीद है जल्दी ही मामला सुलझ जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के भी सैनिक मारे गए हैं। लेकिन कितने, ये जानने के लिए कुछ वक्त लगेगा। क्योंकि चीन कभी खुद ये बात नहीं बताएगा। हमारे देश में लोकतंत्र है और हम बता देते हैं कि हमने कितने सैनिकों को खोया, लेकिन वो कभी नहीं बताते।

पाकिस्तान से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल के उलट चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गोली चलने की घटनाएं आम नहीं है। गोली सोमवार शाम भी नहीं चली है। यानी जो मौतें हुई हैं, उसका कारण हाथापाई हो सकता है।

 इस घटना के चलते भारत-चीन के बीच जिस मसले को सुलझाने की कोशिश एक महीने से भी ज्यादा वक्त से हो रही है, वह अब और ज्यादा लंबी खिंचेगी। सबकुछ सामान्य होने में देरी होगी।




जहां सोमवार को ये घटना हुई, वह हाई एल्टीट्यूड का सर्द इलाका है, एक महीने से दोनों फोर्स खुले में रह रहे हैं। मौसम सख्त है। तनाव है। चीन और भारत एक दूसरे के नजदीक हैं तो मुमकिन है कि तनाव इतना बढ़ गया कि हद पार कर गया है।

ये दुखद घटना है कि एलएसी पर भारतीय सेना ने कर्नल समेत तीन सोल्जर्स को खो दिया। इस समय जो इंफॉर्मेशन है, वो बहुत कम है। ऐसी सेंसेटिव हालत में बेतुके अनुमान न लगाएं। हमें जिम्मेदारीभरा बर्ताव करना चाहिए।

भारत और चीन की जो भी झड़प हुई हैं, उनमें हम ये गर्व से महसूस करते रहे हैं कि हालात भड़के नहीं, लेकिन इस बार दोनों ओर स्थिति खराब हो गई। ये सिर्फ एक इलाके में हुआ है, रिपोर्ट ये भी है कि फायरिंग नहीं हुई है।




ये गंभीर स्थिति है और इससे और ज्यादा गंभीरता से निपटना है ताकि हालात सामान्य हो सकें। 1967 में सीमा पर एक बड़ा ऑपरेशन हुआ था नाथुला पर। इसके बाद 1975 में अरुणाचल में और उसके बाद तो भारत और चीन सीमा पर एक भी गोली नहीं चली।
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