राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि चीन और भारत के सीमा विवाद पर अमेरिका मध्यस्थता के लिए तैयार है
ट्रम्प की इस पेशकश पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कूटनीतिक प्रयासों की स्थिति स्पष्ट की
इससे पहले, ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर भी भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात कही थी, जिसे भारत ने ठुकराया था
हालांकि, इसके बाद भी ट्रम्प ने कहा, ''भारत और चीन के बीच बहुत बड़ा विवाद है। दोनों देशों के पास बड़ी आबादी और ताकतवर सेनाएं हैं। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की, चीन के साथ जो कुछ चल रहा है वे उससे खफा थे। मोदी अच्छे मूड में नहीं हैं। मौजूदा स्थिति को लेकर दोनों देश खुश नहीं हैं।''
ट्रम्प पहले भी कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की बात कह चुके हैं, जिसे भारत ने ठुकरा दिया था। भारत ने कहा था कि यह उसका आंतरिक मसला है।
भारत और चीन के पास कई कूटनीतिक तंत्र मौजूद
एक दिन पहले चीन ने कहा था कि भारत से साथ सीमा पर स्थित स्थिर और नियंत्रण में है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था- दोनों पक्ष तनाव को कम करने में जुटे हैं, लेकिन भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत और चीन के पास कई कूटनीतिक तंत्र मौजूद हैं। किसी भी हालात का निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से किया जा सकता है।
श्रीवास्तव ने फिर दोहराया कि भारतीय सेना ने एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) का उल्लंघन नहीं किया था। भारत, चीन के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सेना हमारे लीडर्स की सहमति और मार्गदर्शन का ईमानदारी से पालन करती है। हम भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए दृढ़ हैं।
लद्दाख में हाल ही में गालवन नाला एरिया के पास चीन और भारत के बीत तनाव बढ़ गया है। एलएसी के पास कई सेक्टरों में चीन करीब 5 हजार जवान तैनात कर चुका है। पड़ोसी के इस कदम के बाद भारतीय सेना ने भी इन इलाकों में अपने जवान बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।
इसी महीने दोनों सेनाओं के बीच तीन बार अलग-अलग जगहों पर टकराव हो चुका है। पिछले हफ्ते दोनों देशों की सेनाओं के कमांडर बातचीत कर मुद्दा सुलझाने की कोशिश भी कर चुके हैं।
अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हुईं तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में सैनिक बढ़ा दिए हैं। इन दोनों इलाकों में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है।
ट्रम्प की इस पेशकश पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कूटनीतिक प्रयासों की स्थिति स्पष्ट की
इससे पहले, ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर भी भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात कही थी, जिसे भारत ने ठुकराया था
नई दिल्ली.. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को लद्दाख और सिक्किम में भारत-चीन के बीच जारी विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस पेशकश पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया। मंत्रालय ने कहा कि पड़ोसी के साथ मसले का शांतिपूर्ण हल निकालने के लिए कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी हैं।
हालांकि, इसके बाद भी ट्रम्प ने कहा, ''भारत और चीन के बीच बहुत बड़ा विवाद है। दोनों देशों के पास बड़ी आबादी और ताकतवर सेनाएं हैं। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की, चीन के साथ जो कुछ चल रहा है वे उससे खफा थे। मोदी अच्छे मूड में नहीं हैं। मौजूदा स्थिति को लेकर दोनों देश खुश नहीं हैं।''
ट्रम्प पहले भी कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की बात कह चुके हैं, जिसे भारत ने ठुकरा दिया था। भारत ने कहा था कि यह उसका आंतरिक मसला है।
भारत और चीन के पास कई कूटनीतिक तंत्र मौजूद
एक दिन पहले चीन ने कहा था कि भारत से साथ सीमा पर स्थित स्थिर और नियंत्रण में है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था- दोनों पक्ष तनाव को कम करने में जुटे हैं, लेकिन भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत और चीन के पास कई कूटनीतिक तंत्र मौजूद हैं। किसी भी हालात का निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से किया जा सकता है।
श्रीवास्तव ने फिर दोहराया कि भारतीय सेना ने एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) का उल्लंघन नहीं किया था। भारत, चीन के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सेना हमारे लीडर्स की सहमति और मार्गदर्शन का ईमानदारी से पालन करती है। हम भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए दृढ़ हैं।
चीन के बाद भारत ने भी बढ़ाई सैनिकों की संख्या
लद्दाख में हाल ही में गालवन नाला एरिया के पास चीन और भारत के बीत तनाव बढ़ गया है। एलएसी के पास कई सेक्टरों में चीन करीब 5 हजार जवान तैनात कर चुका है। पड़ोसी के इस कदम के बाद भारतीय सेना ने भी इन इलाकों में अपने जवान बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।
इसी महीने दोनों सेनाओं के बीच तीन बार अलग-अलग जगहों पर टकराव हो चुका है। पिछले हफ्ते दोनों देशों की सेनाओं के कमांडर बातचीत कर मुद्दा सुलझाने की कोशिश भी कर चुके हैं।
डोकलाम के बाद सबसे बड़ा टकराव
अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हुईं तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में सैनिक बढ़ा दिए हैं। इन दोनों इलाकों में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है।
Post a Comment