पारिवारिक कलह में किसी को आत्महत्या या हत्या करने जैसे कदम उठाते तो आपने सुना होगा। लेकिन कलह की वजह से कोई किन्नर बन जाए, संभवत: ऐसा मामला पहली बार ही सुनने में आया है। जोधपुर की फैमिली कोर्ट में शनिवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया।
एक युवक ने खुद काे केवल इसलिए किन्नर बना लिया, क्योंकि वह पारिवारिक कलह व पत्नी के तानों से परेशान हो चुका था। उसने शादी के 13 साल बाद यह कदम उठाया। इस व्यक्ति के एक 11 साल का बेटा भी है। हालांकि अब पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग हो गए हैं, और कोर्ट ने भी इनका तलाक मंजूर कर लिया है।
13 साल पहले हुआ था निकाह, 11 साल से था मनमुटाव
शहर के गुलजारपुरा ताजियों का बास निवासी एक युवक मो. शाकिर (बदला हुआ नाम) की 25 अक्टूबर 2007 को अजमेर के विजयनगर निवासी एक लड़की सलमा (बदला हुआ नाम) से शादी हुई थी। ये दोनों रिश्ते में मामा-बुआ के बेटे-बेटी हैं। पति-पत्नी के बीच कुछ समय तक सब कुछ ठीक चला। 15 अप्रेल 2009 को एक बेटा भी हुआ। इसके बाद दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया।
शहर के गुलजारपुरा ताजियों का बास निवासी एक युवक मो. शाकिर (बदला हुआ नाम) की 25 अक्टूबर 2007 को अजमेर के विजयनगर निवासी एक लड़की सलमा (बदला हुआ नाम) से शादी हुई थी। ये दोनों रिश्ते में मामा-बुआ के बेटे-बेटी हैं। पति-पत्नी के बीच कुछ समय तक सब कुछ ठीक चला। 15 अप्रेल 2009 को एक बेटा भी हुआ। इसके बाद दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया।
परिवाद में पति ने पत्नी के अन्य के साथ अफेयर का भी आरोप लगाया है। पति का यह भी कहना था कि- पत्नी ताने भी मारती थी। इस वजह से वह परेशान रहता था। जबकि पत्नी ने भी जवाब में युवक पर आरोप लगाए हैं। फिर भी जैसे-तैसे चलता रहा था। दोनों अलग नहीं हुए। घर में रोजाना की बढ़ती कलह के बीच एक दिन युवक ने स्वयं को किन्नर बनवा लिया।
इसके लिए वह पारिवारिक कलह को जिम्मेदार बताता है। उसने परिवाद में लिखा कि उसने रीटा बाई को अपना गुरू बना लिया है। किन्नर समाज में गुरू ही सबकुछ होता है। युवक के किन्नर बनने की बात कुछ समय तक पत्नी को पता ही नहीं चली। बाद में युवक ने उसे यह सच्चाई बता दी। इसके बाद वर्ष 2014 में विवाद ज्यादा बढ़ गया।
3 साल पहले लगाई थी तलाक की अर्जी
युवक ने वर्ष 2017 को कोर्ट में तलाक की अर्जी भी लगा दी। तब से यह मामला लंबित था। शनिवार को यह मामला लोक अदालत में सूचीबद्ध हुआ था। दोनों कोर्ट पहुंचे। लोक अदालत की बैंच फैमिली कोर्ट के जज महेंद्रकुमार सिंघल व अधिवक्ता दीनदयाल पुरोहित ने दोनों की काउंसलिंग की और उन्हें घंटेभर तक समझाया। फिर दोनों आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए राजी हो गए। कोर्ट ने भी तलाक की अर्जी मंजूर करते हुए डिक्री पारित कर दी।
युवक ने वर्ष 2017 को कोर्ट में तलाक की अर्जी भी लगा दी। तब से यह मामला लंबित था। शनिवार को यह मामला लोक अदालत में सूचीबद्ध हुआ था। दोनों कोर्ट पहुंचे। लोक अदालत की बैंच फैमिली कोर्ट के जज महेंद्रकुमार सिंघल व अधिवक्ता दीनदयाल पुरोहित ने दोनों की काउंसलिंग की और उन्हें घंटेभर तक समझाया। फिर दोनों आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए राजी हो गए। कोर्ट ने भी तलाक की अर्जी मंजूर करते हुए डिक्री पारित कर दी।
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