गलवान में हिंसक झड़प के 7 दिन बाद आखिरकार भारत के दबाव के आगे चीन झुक गया। सोमवार को चीन सीमा में स्थित मॉल्डो में दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई थी।

 सेना के कहते हैं, बातचीत अच्छा माहौल में हुई। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली जगह से दोनों देशों की सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बनी हुई है। डी-एस्केलेशन की पसंद धीरे-धीरे होगी। यानी धीरे-धीरे दोनों देशों के सैनिक पीछे हटेंगे।


इस बीच, चीन ने कहा है कि गलवान में हुई झड़प में उसके 40 सैनिक मारे जाने की बात झूठी है। चीन का यह बयान ऐसे समय आया है, जब थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने मंगलवार को लेह पहुंचे हैं। जनरल नरवने ने मिलिट्री अस्पताल में सैनिकों से मुलाकात की।

भारत-चीन के बीच दूसरी बैठक 11 घंटे चली
15 जून की रात गलवान में हिंसक झड़प के बाद सोमवार को भारत और चीन के बीच मॉल्डो में लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की दूसरी मुलाकात 11 घंटे तक चली गई।

 भारत की ओर से बैठक में 14 वीं कोर केंदर के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो इलाके से चीनी सैनिकों को हटाने की मांग की।



भारतीय अफसरों ने गलवान में हुई हिंसक झड़प को चीन की सोची-समझीलिंग और क्रूर को बताया था। भारत की मांग थी कि चीन लद्दाख में अपने सैनिकों की पोजिशन अप्रैल की यथास्थिति पर लाए।

चीन ने माना कि हेरांडिंग अफसर मारा गया
चीन की सेना ने पहली बार माना कि 15 जून को गलवान में हुई झड़प में हंडरिंग ऑफिसर सहित 2 सैनिक मारे गए। 

हालांकि, रिपोर्ट में पहले चीन के 40 से ज्यादा जवानों की मौत का दावा किया गया है। गलवान में चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटेले तारों से हमला किया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे।
 
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